‘मेंटल है क्या’ पर क्यों भड़का है चिकित्सा जगत
सेहतराग टीम
राजकुमार राव और कंगना रनौत अभिनीत फिल्म ‘मेंटल है क्या’ को लेकर इन दिनों चिकित्सा जगत में उबाल है। चिकित्सक समुदाय इस फिल्म को मनोरोगियों की दशा को मखौल उड़ाने वाला करार दे रहा है जबकि दूसरी ओर फिल्म के निर्माताओं का कहना है कि ऐसा कुछ भी नहीं है।
भारतीय चिकित्सा संगठन (आईएमए) और इंडियन साइकीएट्रिक सोसाइटी (आईपीएस) ने फिल्म के निर्माताओं से अपील की है कि वह फिल्म का टीजर वापस लें और फिल्म का नाम बदल दें। संगठन का यह भी कहना है कि अगर फिल्म में मनोरोग को लेकर किसी भी प्रकार की उकसावे वाली विषय-वस्तु या गाना है तो इस पर भी पुनर्विचार किया जाना चाहिए।
हाल ही में इस फिल्म के निर्माताओं ने फिल्म का एक पोस्टर जारी किया था जिसमें दोनों मुख्य कलाकारों को जीभ पर ब्लेड को बैलेंस करके दिखाया गया है। आईएमए और आईपीएस ने एक बयान में यहां कहा, ‘अच्छी कल्पना, लेकिन क्या हम इसे रचनात्मकता कह सकते हैं? कुछ ऐसा करना चाहिए जिसकी कुछ उपयोगिता हो? हां, यह अनूठा है लेकिन क्या इसे उपयोगी कह सकते हैं?’
भारतीय चिकित्सा संगठन (आईएमए) के राष्ट्रीय अध्यक्ष सांतनु सेन ने कहा, ‘‘यह शीर्षक ‘मेंटल है क्या’ सीधे तौर पर उन लोगों के लिए बुरा है जो मनोरोग की बीमारी से पीड़ित है। यह दर्द में पड़े मरीजों का मजाक उड़ाना है। डॉक्टर सेन ने कहा, ‘हमने सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय और केंद्रीय फिल्म प्रमाणन बोर्ड से फिल्म के शीर्षक और विषय-वस्तु में सुधार के लिए हस्तक्षेप करने की अपील की है।’’
दूसरी ओर फिल्म के निर्माताओं ने कहा कि यह फिल्म मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं का शिकार हुए लोगों के साथ भेदभाव नहीं करती है और न ही इसका मकसद किसी को ठेस पहुंचाना है। यह प्रतिक्रिया प्रोडक्शन हाउस बालाजी मोशन पिक्चर्स की तरफ से इंडियन साइकेट्रिक सोसाइटी (आईपीएस) की शिकायत के एक दिन बाद आई है। आईपीएस ने फिल्म प्रमाणन बोर्ड (सीबीएफसी) के पास इस फिल्म को लेकर अपनी आपत्ति दर्ज कराई है। इस फिल्म का पोस्टर हाल ही में रिलीज हुआ है।
प्रोडक्शन हाउस का कहना है कि इस फिल्म का लक्ष्य विशिष्ट चीजों पर ध्यान दिलाना है। उनका कहना है कि यह फिल्म लोगों की अपनी निजी जिंदगी को स्वीकार करने और उसकी विशिष्टता को स्वीकार करने के लिए प्रेरित करती है।
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